संवैधानिक चेतावनी कहती है कि शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. संवैधानिक चेतावनी यह नहीं कहती कि शराब सरकारों के लिए हानिकारक है. दो गज की दूरी का सिद्धांत दो बूंद की मजबूरी के आगे हवा हो गया, शराब खरीदने के लिए लंबी लाइन। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन-3 में लोगों को कुछ रियायतें भी दी हैं। उनमें से एक शराब की दुकानें भी हैं। रेड, ऑरेंज व ग्रीन जोन में कंटेनमेंट को छोड़कर सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक शराब की दुकानें खुलेंगी। कुछ जगहों पर तो भीड़ इस कदर बढ़ गई कि दुकानें बंद करवानी पड़ी। लॉकडाउन 1 और 2 में कम से कम सबके लिए नियम एक थे, अब लॉकडाउन 3 में शराब की दुकान खोलने की अनुमति तो कुछ इस तरह दी गयी जैसे कि यह आवश्यक एमर्जेन्सी सर्विस / वस्तु हो।
माना अर्थव्यवस्था के लिए लॉकडाउन में लोगों को अपने ब्यवसाय खोलने की अनुमति देनी पड़ेगी वरना लोग करोना से कम तनाव और भूख से ज़्यादा प्रभावित होंगे पर शराब से सिर्फ़ और सिर्फ़ सरकार या चन्द लोगों को फायदा होगा, आम जनता को तो नुकसान ही है, फिर भी पता नही सरकार किसके लाभ का सोच के ये निर्णय ले रही है। हालाँकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के सख़्त निर्देश हें पर ऐसे तो फिर लॉकडाउन का मतलब ही ख़तम हो जाता है, क्यूंकि अगर कही भी चूक हुई तो इसकी ज़िम्मेदारी किसकी बनेगी।
शराब की कीमत या उस पर बिक्री कर बढ़ा के बेचने के निर्णय और तर्क को भी सही नही कहा जा सकता क्यूंकी इसमे भी एक तरफ़ा सोच है, अर्थव्यवस्था के लिए ये कर देने से तो फायदा होगा और शायद बस वही लोग लेंगे जो ख़र्च कर सकते होंगे, पर फिर भी ये तर्क इस बात के विपरीत है – की जो लोग पैसे खर्च कर सकते होंगे और जिनसे अर्थव्यवस्था को फायदा दिखे, उसके लिए पूरे देश को ख़तरे में डाला जाए, क्या इसी दिन के लिए प्रधान मंत्री के लॉक डाउन में घर पर रहने के निर्णय का देश ने एकजुट हो कर समर्थन किया था ?
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